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नीम करौली बाबा: एक आध्यात्मिक संत की कहानी

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नीम करौली बाबा: एक आध्यात्मिक संत की कहानी

नीम करौली बाबा, जिन्हें नीम करौली बाबा के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय आध्यात्मिक इतिहास के महान संतों में से एक हैं। उनका जन्म १९०० में उत्तर प्रदेश के फ़िरोज़ाबाद जिले के गाँव अकबरपुर में हुआ था। नीम करौली बाबा का जीवन एक अद्भुत और रहस्यमय कहानी से भरा हुआ है, जो हमें आध्यात्मिकता और मानवता के मूल्यों की महत्ता को समझाता है।

नीम करौली बाबा के बचपन का अनुभव उनके बड़े भाई संत करौरी दास जी के साथ रहने के दौरान हुआ। संत करौरी दास जी की प्रेरणा से ही नीम करौली बाबा ने भी संतों का मार्ग अपनाया। उन्होंने अपने जीवन को ध्यान और सेवा में समर्पित किया, और लोगों को आध्यात्मिक उपदेश देने का काम किया।

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नीम करौली बाबा का विशेष रूप से प्रसिद्ध होने का कारण उनकी अद्भुत चमत्कारिक शक्तियों का है। उन्हें भक्तों की समस्याओं का समाधान करने में विशेष रूप से माहिर पाया जाता था। उनके दरबार में आने वाले लोग अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए उनसे मदद मांगते थे, और बाबा की कृपा से उनकी समस्याएं हल होती थीं।

नीम करौली बाबा की मृत्यु के बाद भी, उनके शिष्यों और भक्तों ने उनकी स्मृति को जिंदा रखा है। उनके दरबार पर हर दिन हजारों लोग आते हैं और उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। नीम करौरी बाबा का संदेश था कि हमें आत्मनिर्भर बनना चाहिए, और भगवान की भक्ति के माध्यम से हम अपने जीवन को सफल बना सकते हैं।

नीम करौली बाबा के जीवन और संदेश की यह गाथा हमें आध्यात्मिक ऊर्जा और संगठनशीलता की महत्ता को समझाती है। उनकी कथाएँ हमें ध्यान और धारणा का महत्व बताती हैं, जो हमें अपने जीवन को सफलता की ओर ले जाने में मदद करती हैं।

आरंभिक जीवन

नीम करौली बाबा, जिन्हें नीम करौली बाबा के नाम से भी जाना जाता है, एक धनी ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे। उनका जन्म १९०० में हुआ था। उनके माता-पिता ने उनकी शादी बचपन में ही कर दी थी, लेकिन उन्होंने साधु बनने का संकल्प किया। बाद में, उन्होंने अपने पिता के अनुरोध पर वैवाहिक जीवन को अपनाया। वे दो बेटों और एक बेटी के पिता बने।

नीम करौली बाबा के बचपन की अद्भुत कहानियाँ लोगों के बीच प्रसिद्ध हैं। कहा जाता है कि जब वह १७ वर्ष के थे, तो उन्हें पूरी ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी। उनके गुरु का नाम भगवान श्री हनुमान था। उन्होंने भारत में अनेक स्थानों का दौरा किया और विभिन्न नामों से प्रसिद्ध हुए। गंजम में मां तारा तारिणी शक्ति पीठ की यात्रा के दौरान, स्थानीय लोग उन्हें “हनुमानजी, चमत्कारी बाबा” के नाम से संबोधित करते थे।

एक बार, नीम करौली बाबा ट्रेन में सफर कर रहे थे लेकिन उनके पास टिकट नहीं था। इसके कारण, टिकट चेकर ने उन्हें अगले स्टेशन में उतरने को कहा। वहां का स्टेशन “नीम करोली” था। वहां के गांव के लोगों ने उन्हें हनुमानजी, चमत्कारी बाबा के नाम से जाना जाता था। ट्रेन से उतराया जाने के बावजूद, ट्रेन नहीं चल पा रही थी। बाबा ने वहां पर चिमटा धरती पर लगाकर बैठ लिया। चालक ने कई प्रयास किया लेकिन ट्रेन नहीं चली। लोगों ने कहा कि यह बाबा का प्रकोप है जिसके कारण ट्रेन नहीं चल रही है। बाबा के सम्मान में, उन्हें माफी मांगी गई और वे सम्मानपूर्वक ट्रेन में बैठे। उन्होंने ट्रेन चलने के लिए वादा किया कि उनके द्वारा बोले गए स्थान पर एक स्टेशन बनाया जाएगा, जिससे लोगों को ट्रेन में साहब चढ़ने में आसानी हो। वादा पूरा हुआ और वहां पर “नीम करोली” नाम का स्टेशन बन गया। इस स्थान से उनकी कथाएँ प्रसिद्ध हो गई और उन्हें “नीम करोली बाबा” के नाम से जाना जाने लगा। 

शिक्षा:

पूर्व में, इस क्षेत्र के निवासियों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए हिरनगाँव प्राथमिक पाठशाला में जाना पड़ता था। लेकिन बर्तमान में अकबरपुर में भी एक विद्यालय है, जिससे छात्र शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। इससे उन्हें अधिक सुविधा मिलती है और उन्हें अपने शैक्षणिक उद्दीष्टों को पूरा करने का मौका मिलता है।

आश्रम:

नीम करोली बाबा के आश्रम भारत में कई स्थानों पर स्थित हैं। उनके आश्रम भारत में कैंची, भूमियाधार, काकरीघाट, कुमाऊं की पहाड़ियों में हनुमानगढ़ी, वृन्दावन, ऋषिकेश, लखनऊ, शिमला, फर्रुखाबाद के पास नीम करोली गांव और दिल्ली में स्थित हैं। 

इसके अलावा, उनके आश्रम ताओस, न्यू मैक्सिको, संयुक्त राज्य अमेरिका में भी स्थित है। ये आश्रम सभी उनके भक्तों और शिष्यों के लिए आध्यात्मिक संगठन और स्थल हैं, जहां वे ध्यान, पूजा, और सेवा का अभ्यास करते हैं।

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उल्लेखनीय शिष्य:

नीम करोली बाबा के उल्लेखनीय शिष्यों में आध्यात्मिक शिक्षक राम दास (बी हियर नाउ के लेखक), गायक और आध्यात्मिक शिक्षक भगवान दास, लेखक और ध्यान शिक्षक लामा सूर्य दास, संगीतकार जय उत्तल और कृष्ण दास शामिल हैं। इसके अलावा, अन्य उल्लेखनीय भक्तों में मानवतावादी लैरी ब्रिलियंट और उनकी पत्नी गिरिजा, दादा मुखर्जी (इलाहाबाद विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश, भारत के पूर्व प्रोफेसर), विद्वान और लेखक यवेटे रोसेर, अमेरिकी आध्यात्मिक शिक्षक मा जया सती भगवती, फिल्म निर्माता जॉन बुश और डैनियल गोलेमैन लेखक शामिल हैं। इन शिष्यों में ध्यान संबंधी अनुभव और भावनात्मक बुद्धिमत्ता की विविधताएँ हैं। 

धर्म और आध्यात्मिकता के क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए नीम करोली बाबा के शिष्य स्टीव जॉब्स और हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स को भी उल्लेख किया जा सकता है। स्टीव जॉब्स ने अपने मित्र डैन कोट्टके के साथ हिंदू धर्म और भारतीय आध्यात्मिकता का अध्ययन करने के लिए १९७४ में भारत की यात्रा की थी, और उन्हें नीम करोली बाबा से मिलने की भी योजना बनाई थी। जूलिया रॉबर्ट्स भी नीम करोली बाबा के प्रभाव में आईं थीं। इनकी एक तस्वीर ने रॉबर्ट्स को हिंदू धर्म की ओर आकर्षित किया था। 

स्टीव जॉब्स के प्रभाव में मार्क जुकरबर्ग भी नीम करोली बाबा के आश्रम का दौरा करने गए थे, साथ ही गूगल के लैरी पेज और ईबेय eBay के सह-संस्थापक जेफरी स्कोल भी इस यात्रा का हिस्सा बने थे।

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